आंसुओं का क्या करूं मैं,
वो तो बह ही जाते हैं तेरी याद में।
सोचती हूँ तेरे और मेरे बारे में,
कैसे भूलूंगी तुझको इतना करीब आकर के।
तरसती है आँखें मेरी तुझे देखने के लिए,
हर दिन गुजारना पड़ता है तेरी याद में,
कि कब देखेंगे एक-दूसरे को पास में।
- सुप्रिया साहू