नदी की बहाव सा जीवन
जीवन की दास्तान कुछ ऐसी है,
जैसे कोई नदी बहती है।
जो दो दिशाओं में बहती है,
जिसका एक बहाव जन्म देता है,
और दूसरा,उसे बहाकर ले जाता है।
बीज से वृक्ष,वृक्ष से फल,फल से बीज,
और फिर बीज से वृक्ष बनकर
जीवन यूँ ही घूमता रहता है।
जो आज वर्तमान है,
वह कल अतीत बन बह जाता है।
नदी का बहाव जैसे कभी थमता नहीं है,
वैसे ही जीवन मरण का चक्र भी
निरंतर चलता रहता है।
वन्दना सूद
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