मैने गणित से पूछा—
जिंदगी जीने में,
तुम्हारा क्या ही काम है?
गणित ने कहा—
प्रातः उठने का समय तुम्हे,
कौन बताता है?
चाय में कितना दूध कितनी चीनी ,
कौन गिनाता है?
खाने में प्यारी रोटी का आकार,
कौन दिखाता है?
मंजिल की यात्रा में दूरी
कौन गिनाता है?
गगनचुंबी इमारतों की ऊंचाई,
कौन दिखलाता है?
कितना ब्याज कितना मूलधन,
कौन रटवाता है?
कितनी गति है बेरोक समय की,
कौन एहसास कराता है?
कितना लंबा ये जीवन है,
कौन ज्ञान दे जाता है?
अब न पूछो बार– बार
गणित का क्या काम है?
गणित तो सर्वत्र विद्यमान है।।