कविता - मैं कविता लिख न पाया....
बीबी घर पर
नहीं है
वह अपने मायके
पर गई है
मैं दूध पतीले में रख
ग्यास पर उबाल रहा
इस तरह मैं मेरा
घर संभाल रहा
उसी बखत मैं एक कविता
लिखने की सोच बना रहा
ग्यास में रखा दूध उबल
चुका उसे नहीं देख पा रहा
मैं कविता लिखने की
सोच में मस्त
उधर दूध उबलता
रहा जबरदस्त
दूध उबल उबल कर
पतीला काला पड़ गया
काला क्या वह पतीला
बिलकुल ही सड़ गया
कविता सोच सोच कर भी
कविता लिख न पाया
उधर पतीला सड़ा
हुवा सा बदबू आया
मैं झट से अपनी
रसोई की ओर गया
ग्यास जला पतीला सड़ा
और दूध गिरा हुआ पाया
ये देख मुझ को
बहुत घुसा आया
जल रही ग्यास
फिर मैंने बुझाया
आखिर करता क्या ?
रसोई में पोछा लगाया
सड़ा पतीले को
रगड़ रगड़ चमकाया
मेरे दिमाग पर
कुछ भी न आया
इस तरह मैं कविता
लिख न पाया
इस तरह मैं कविता
लिख न पाया.......