अपनी इच्छाओं और पसन्द को दबाना सीखे।
मान सम्मान की उम्मीद छोड़कर जीना सीखे।।
अपने सपनों को त्याग कर हद से बाहर जाना।
और फिर दुसरों की खुशी के लिए जीना सीखे।।
केरियर और आत्मनिर्भरता के बारे में ना सोचे।
अपमान और ताने धैर्य से हमेशा सुनना सीखे।।
समाज ने स्त्रियों के बारे में 'उपदेश' लिख दिया।
एक और सीख दी हर हाल में चुप रहना सीखे।।
समझने वालों को इशारा ही कभी लिखा गया।
स्त्री विवाह के वक्त बचनो को समझना सीखे।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद