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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

कविता - इसी लिए कविता लिखा....

( कविता ) ( इसी लिए कविता लिखा...)
कहीं एक आदमी ने
घर गृहस्ती संभालने के लिए

अपनी बीबी और
अपने बच्चों को पालने के लिए

सुबह से शाम तक रिक्सा चलाते हुए देखा है
इसी लिए ही मैंने ये कविता लिखा है

कहीं फिर सत्तर साल की वृद्ध मां को
गली गली में जा कर
हर प्रत्येक घर घर से
भीख मांग मांग कर

प्याज और नमक से रोटी खाते देखा है
इसी लिए ही मैंने ये कविता लिखा है

कहीं फिर असी साल के
वृद्ध पिता मजदूरी कर रहे
सारा दिन इटा सीमेंट
कंधे पर ढो ढाे कर मर रहे

उनकी ऐसी दर्द और पीड़ा को देखा है
इसी लिए ही मैंने ये कविता लिखा है

कहीं फिर छोटे छोटे अर्ध नग्न
बच्चे कूड़े के ढेर में जा कर
किसी का फेंका हुवा चामल
अपने हाथों से उठा कर

साक्षात उनको खाते हुए देखा है
इसी लिए ही मैंने ये कविता लिखा है
इसी लिए ही मैंने ये कविता लिखा है.......




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

+

रमेश चंद्र said

Aapke vichar or lekhan ki jitni taarif kare kam hogi. Bahut sundar bhagwan hame itna shaksahm bnaye ki ham ase logo ke kuch kam aa sake. Yaa fir inko itna sksham kr de bas yahi pray ha.

नेत्र प्रसाद गौतम replied

नमस्कार रमेश चंद्र जी आप की प्रशंसा ही मुझ को आगे बढ़ने में प्रेरित करती है इस के लिए आप को बहुत बहुत धन्यवाद।

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Uttam rachna mahoday tak pranam pahunche 🙏🙏

नेत्र प्रसाद गौतम replied

नमस्कार श्रीमान जी प्रशंसा के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।

रीना कुमारी प्रजापत said

वाह! नमन आपको और आपकी कविता को 🙏

नेत्र प्रसाद गौतम replied

नमस्कार रीना कुमारी जी आप की इस तरह की प्रशंसा ही मुझ को आगे बढ़ने में प्रेरित करती है आप को बहुत बहुत धन्यवाद।

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