( कविता ) ( इसी लिए कविता लिखा...)
कहीं एक आदमी ने
घर गृहस्ती संभालने के लिए
अपनी बीबी और
अपने बच्चों को पालने के लिए
सुबह से शाम तक रिक्सा चलाते हुए देखा है
इसी लिए ही मैंने ये कविता लिखा है
कहीं फिर सत्तर साल की वृद्ध मां को
गली गली में जा कर
हर प्रत्येक घर घर से
भीख मांग मांग कर
प्याज और नमक से रोटी खाते देखा है
इसी लिए ही मैंने ये कविता लिखा है
कहीं फिर असी साल के
वृद्ध पिता मजदूरी कर रहे
सारा दिन इटा सीमेंट
कंधे पर ढो ढाे कर मर रहे
उनकी ऐसी दर्द और पीड़ा को देखा है
इसी लिए ही मैंने ये कविता लिखा है
कहीं फिर छोटे छोटे अर्ध नग्न
बच्चे कूड़े के ढेर में जा कर
किसी का फेंका हुवा चामल
अपने हाथों से उठा कर
साक्षात उनको खाते हुए देखा है
इसी लिए ही मैंने ये कविता लिखा है
इसी लिए ही मैंने ये कविता लिखा है.......