कापीराइट गजल
पूछा करते हैं लोग यहां हम क्यूं गायब हो जाते हैं
कोई तो बतलाए हमें हम क्यूं उनको याद आते हैं
ऐसा क्या है मुझ में और क्यूं उन को याद आए हम
फिर से ये क्या बात हुई हम क्यूं उन को याद आते हैं
रूठ गई जब मेरी लेखनी मेरे ही गीत और गजलों से
ऐसे में अब कौन भला यूं हम कैसे लिख पाते हैं
अब समय की आंधी ने घेरा है मुझको मेरी यादों को
यूं वक्त की आंधी में फंस कर हम कैसे चल पाते हैं
यादें भी अब साथ नहीं देती हैं इस जालिम तन्हाई में
बिन यादों के इस जीवन में कैसे कोई याद आते हैं
फिर भी कुछ तो ऐसा है जिसको हम भूल नहीं पाए
जब याद तुम्हारी आती है खामोश कहां रह पाते हैं
याद हमें भी तुम आए हो इन यादों की भूल भुलैया में
जब उलझे हैं यादों में यादव तो याद कहां रह पाते हैं
लेखराम यादव
(मौलिक रचना)
सर्वाधिकार अधीन है