कविता : हौसला....
खाने को न रोटी न चावल है
न फिर पीने को जल है
घर में सिर्फ खाली नल है
ये चिंता हर पल है
जिंदगी ढलफल है
कोई दूसरा सफल है
खुद का सब विफल है
दिक्कत भी पल पल है
खलबल ही खलबल है
मन बड़ा चंचल है
जीने का ये एक सिंपल है
फिर भी हौसला डबल है
फिर भी हौसला डबल है.......