उम्र भर जो रुलाया तुमने मुझे इसका कोई गिला नहीं
गिला है ज़ब्त का हासिल कुछ भी मिला नहीं
आंँधी की तरह आए मेरी ज़िन्दगी में तुम ऐसे
बिखर गया डाली से प्यार का गुल खिला नहीं
तुम तो ऐसे न थे फिर क्या हुआ उस रोज अचानक
बदले तुम्हारे तेवर को दिल आज तक भूला नहीं
क्या-क्या किया था मैंने तुम्हारे लिए याद नहीं कैसे
बदले में मिला जो ज़ख़्म वो मेरी वफ़ा का सिला नहीं