कविता : घुटन....
सब कुछ है धन
दौलत पैसा
मगर नहीं कोई
तुम्हारे जैसा
मन के अन्दर
चुभन है
दिल के अन्दर
घुटन है
दोनों आंखों
पर नमी है
सब हो कर भी सिर्फ
तुम्हारी कमी है
सब हो कर भी सिर्फ
तुम्हारी कमी है.......