एकमात्र सहारा हो तुम
चंद दिनों की बात है
बिना कहे अपने में छुपा दिया
जो कुछ भी हो
नींद में सपनों की शुरुआत उसी से
दिन में पहली सोच के शुरुआत भी उसी से
किसी ने कहा है
हमारे सोच ही हमारे भविष्य रचते हैं
मेरी आस विश्वास में तुम हो
अलग होने की डर नहीं
क्योंकि मैं तेरा नाम ही दोहराता हूं
कभी मैंने तुम्हें शायरी बनके लिख दी
पैगाम भेजके गुलजार ने
अपने आप में विश्वास जगाया ॥