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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

कश्मकश भरी रात

शायद किसी को वो कर रही याद थी,
गुज़री हुई ही सही पर वो कश्मकश भरी रात थी।
ख़ामोश बैठी थी वो इस - क़दर,
जैसे कोई ना कोई तो बात थी।

कोशिश कर रही थी वो उसकी सारी यादों को
समेटने की,
कोशिश कर रही थी वो उसकी सभी बातों को
एक डायरी में लिखने की।
वहाॅं सिर्फ़ वो,उसकी कलम और उसकी डायरी थी,
लग रहा था ये सब देख कि
मानो कोशिश कर रही थी वो अपनी तन्हाई को
दूर करने की।

उसकी बातों को, उन मुलाक़ातों को वो
याद कर रही थी,
उन यादों के सहारे वो अपनी तन्हाई को दूर कर
रही थी।
वो छोड़ गया था उसे,तन्हा कर गया था उसे,
अब वो अकेली थी इसीलिए वो उसके साथ
बिताए लम्हों को याद कर जी रही थी।
✍️ रीना कुमारी प्रजापत ✍️




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (6)

+

Yachana Agrwal🙈🙉🙊 said

Pyar or dard ka bahut gahra rista h. Besi hi aapki rachna h jo hr kisi ko uske gujre huye woqt m le jati ha.

रीना कुमारी प्रजापत replied

शुक्रिया याचना जी 🙏

Jivani Sharma said

Very true.ye to sab par gujri ha.😢🥺😞

रीना कुमारी प्रजापत replied

Thanku ji

Suhani Rajput said

Well said mam

रीना कुमारी प्रजापत replied

Thanks ji

Lekhram Yadav said

प्रणाम मेरी प्यारी बहना। यादों को संजोकर रखना मनुष्य की स्वाभाविक आदत है और हर व्यक्ति को यादें आती ही हैं भले ही वो किसी को बताए या न बताए। आपने अपने मन की बात को अभिव्यक्त करके बहुत अच्छा किया, मन को थोड़ा सुकून मिल जाएगा और हमें एक सुन्दर कविता पढ़ने का अवसर मिल गया। इसके लिए बहुत बहुत शुक्रिया।

रीना कुमारी प्रजापत replied

प्रणाम 🙏 शुक्रिया

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

सुन्दर अभिव्यक्ति रीना mam - प्रणाम स्वीकार करें

रीना कुमारी प्रजापत replied

धन्यवाद!

ताज मोहम्मद said

बहुत ही उम्दा रचना। लाज़वाब कर दिया। बहुत ही शानदार।

रीना कुमारी प्रजापत replied

बहुत बहुत शुक्रिया ताज भाई

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