स्वप्न में तुम्हारा आगमन,
जैसे प्रेम नीर का आचमन,
स्पर्श तुम्हारा इतना पावन,
प्रतिक्षण होता रहता निशमन।
स्मृतियाँ करती हैं आवागमन,
अनुरंजित हो उठता अंतर्मन,
स्पर्श तुम्हारा इतना पावन,
मन करता रहता अनुगमन।
कठिन है चित्त का नियमन,
प्रश्नों का होता प्रत्यागमन,
स्पर्श तुम्हारा इतना पावन,
भावों का होता रहता प्रशमन।
निरंतर होता प्रेम अधिगमन,
स्पष्ट जिससे वो निगमन,
स्पर्श तुम्हारा इतना पावन,
सुवासित होता प्रेम परिगमन।
देख कर खुशियों भरा दामन,
संसार बना गया जानीदुश्मन,
स्पर्श तुम्हारा इतना पावन,
मुस्कान झलकता चिलमन।
🖊️सुभाष कुमार यादव

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




