कविता - छत पर आया करो....
कभी कपड़े धो कर
ऊपर ही सुखाया करो
प्रिय इसी बहाने छत
पर मिलने आया करो
कभी घर वालों को ऊपर
काम है बताया करो
प्रिय इसी बहाने छत
पर मिलने आया करो
कभी अपने बालों को
बालकनी से फिजाया करो
प्रिय इसी बहाने छत
पर मिलने आया करो
कभी ऊपर ही आ कर
चिड़ियों को दाना खिलाया करो
प्रिय इसी बहाने छत
पर मिलने आया करो
कभी खिड़की से झांक मुझे
नजरों से नजर मिलाया करो
प्रिय इसी बहाने छत
पर मिलने आया करो
कभी भी दीप बुझाया
नहीं जलाया करो
प्रिय इसी बहाने छत
पर मिलने आया करो
कभी भी न मरने दो
हमारा प्यार जताया करो
प्रिय इसी बहाने छत
पर मिलने आया करो
प्रिय इसी बहाने छत
पर मिलने आया करो.......
netra prasad gautam