मैं मानता ही नही, होगा नजर का धोखा।
जो बाते मीठी करती कैसे करेगी अनदेखा।।
हाँ अहम की वजह से चित और पट उसकी।
जो दिल की रानी हो कैसे करेगी अनदेखा।।
बस सोचता रहता हूँ कह डालूँगा सब कुछ।
कोशिश बेकार जब कि कई बार उसने देखा।।
उसकी अपनी सीमा और बदनामी का डर।
उम्मीद पूरी होने के आसार 'उपदेश' ने देखा।।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




