कविता : अस्थाई....
दिल धड़क रहा
सांस चल रहा
ये बखत ये
घड़ी निकल रहा
सभी चीज अस्थाई
स्थाई न घर न डगर
अभी तो ठीक है कल का
न पता न खबर
अभी तो ठीक है कल का
न पता न खबर.......
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ये बखत ये
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न पता न खबर
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न पता न खबर.......