अपनी जिन्दगानी में
मछली रहती पानी में
कितनी खुबसुरत है
न कपडाें की जरुरत है
ठन्ड भी बहुत सहती है
कुछ भी नहीं कहती है
पानी में ही चलती है
पानी में ही खेलती है
पानी के भित्र ही
वह सांस लेती है
अगर पानी न हाे ताे
प्राण त्याग देती है
अपने अाप में मगन है
पानी उसका जीवन है
पानी उसका जीवन है......
----नेत्र प्रसाद गौतम