आजकल तरक्की है विकास है
कहीं मैट्रो तो कहीं रैपिड रेल है
कहीं हाई स्पीड रेल तो कहीं
बुलेट वाली ट्रेन है।
नित्य नए आयामों का अस्तित्व है
पर इनपे चढ़ेगा कौन
किसके लिए ये बन रहें हैं
जब आम आदमी बेरोजगार है ।
जैसे तैसे कर रहा जिंदगी का जोगाड है।
ऐसी परिवहनों का इस्तेमाल करेगा कैसे
ऐसे तरक्की विकास का आधार रहेगा कैसे
यहां सौ में से सिर्फ़ एक के पास सबकुछ है।
बाकि निन्यानवे ठन ठन गोपाल हैं।
फ्री की रेवड़ियां से कुछ नहीं होगा ।
ना गरीबी हटेगी ना गरीब
ऐसे तरक्की विकास का तो साहब
मामला हीं है अजीब।
ना दे सको कुछ भी किसी को तो
धर्मों में बांट दो
बाकि के सारे के सारे मुद्दें ख़ुद हीं
सुलझ जायेंगें।
मूर्ख लोगों की भीड़ है यहां
धूर्त मक्कार इस भीड़ को नचायेंगें।
बाबा के कबूतरों वाला हाल है इनका
ये बार बार गलती करेंगें पर अगली बार नहीं करेंगें ये बार बार दोहरायेंगें।
हैं ये आम आदमी तन मन धन हर
एंगल से कमज़ोर ये क्या कभी सुख
पायेंगें।
एक पांच सौ के नोट और एक बोतल
दारू पी बिक जायेंगें।
चोर उचक्कों को नेता बना
फिर गलती दोहरायेंगें
आम आदमी सिर्फ आम रहेगें
कभी न ख़ास बन पाऐंगे..
तरक्की विकास की आस में
समूचे जीवन कट जायेंगें
हाथ मालेंगें माथा पीटेंगे
अंत समय पछतायेंगे
अंत समय सिर्फ़ और सिर्फ़
पछतायेंगे...