रस्म रिवाजों में उतना ही रहो।
रिश्ते टूटे ना, मोहब्बत में रहो।।
लड़की शादी के बाद विदा हुई।
उसे पराया मत खो होश मे रहीं।।
एक के साथ एक दो बन जाते।
ग्यारह बनाना चाहते जुड़ के रहो।।
माँ बाप की इज़्ज़त बनाए रखो।
बातचीत जारी रहे सलीके में रहो।।
बेवजह की तर्क-वितर्क से बचो।
खुश रहे 'उपदेश' तालमेल में रहो।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद