कदम–कदम पर रास्ते, कदम–कदम पर मोड़..
मिलना था पल दो पल का, बरसों का बिछोड़..।
बहुत ढूंढा मगर मिला नहीं, ज़िंदगी तेरा ठिकाना..
ना कोई सिरा मिला, और ना मिला कोई जोड़..।
अपने अपने वहम लिए, चलते रहे दिन–रात..
ना उसकी कोई मंज़िल मिली, ना मिला कोई तोड़..
कभी लम्हा बरस बराबर, कभी बरस भी लम्हा हुआ..
अब सोचे किसको बनाएं अपना, और किसको दें हम छोड़..।
दर्द के रिश्ते सब चल बसे, हुए घर सब खाली..
आंखों में आंसू बाकी नहीं, ज़माने ने लिए सब निचोड़..।