दोस्ती तो अमानत है जिन्दगी भर की।
नाचीज़ को रहमत नही है घड़ी भर की।।
जवाँ दिलों के इशारे शायद पाक होते।
उनको तलाश रहती थोड़ी आड़ भर की।।
हवा बता दे जाकर उन्हें आयें छत पर।
पसीने से तरबतर है प्यास सदी भर की।।
अभी हैं स्वप्न कुँवारे समझते क्यों नही।
वक्त जाते जगह न बचेगी तिल भर की।।
इश्क के मारे आते लोगों की निगाह में।
सबक की जिन्दगी 'उपदेश' पल भर की।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद