प्यार व्यार इश्क़ विश्क क्या होता है...
प्यार व्यार, इश्क विश्क क्या होता है ,
जागी आंखों का बस सपना होता है l
प्यार का पहला अक्षर ही आधा है,
रहे अधूरा, पूरा कहां वो हो पाता है l
ग़र, संबंधों के जहर दंश से बचना है,
प्यार में चंदन सा बन जाना पड़ता है l
धीरे धीरे ख्वाब भी धुंधले हो जाते हैं ,
उनमें रंगों को फ़िर से भरना होता है l
जो बसता है साँसों की हर धड़कन में,
बिन उसके पानी पर चलना पड़ता है l
कभी धूप में सर्द हवा का झोंका सा,
ऐसे ही प्यारी यादों का रेला होता है l
काम से फुर्सत भला कहां है दोनों को,
दोनों को फिर मेले में मिलना होता है l
चेहरा चाहे धुँधला हो या बिखरा हो,
मालूम है, पर दर्पण बनना पड़ता है l
दिल का खून उतर आता हैं आँखों में,
दरिया का पानी यूँ खारा होने लगता है l
खुद से भी गैर हुए,अपने में,अंजाने में,
दर्द छुपा के सीने में अब गाना पड़ता है l
प्रेम रसायन विलयन है दो रूहों की,
दो रूहों को एक हो जाना पड़ता है l
आक के पौधे समान है प्यार "विजय",
इसके पय से कुछ न दिखाई पड़ता है l
विजय प्रकाश श्रीवास्तव (c)