कारवां चलता रहा,
हम भी संग हो लिए,
एक मंजिल की तलाश में,
एक सुकून की तलाश में,
वक्त की घड़ी कुछ ज्यादा ही तेज चली,
बाल भी धीरे-धीरे सफेद होने लगें,
आँखों पर ऐनक ने स्थायी कब्ज़ा जमा लिया,
मंज़िल मिली की नहीं अभी भी द्वंद है,
सुकून की तलाश आज भी जारी है...!!
#संजय श्रीवास्तव