मेरी सादगी पर नाज करने वाला बदल गया।
कहीं पर भी मचलने वाले का जादू ढल गया।।
अब तो मिज़ाज उसके उखड़े उखड़े से रहते।
खुश-नसीब माना खुद को नसीब बदल गया।।
उदासियों के मौसम हवाऐँ बहा कर ले आई।
दुआ का असर भी 'उपदेश' कहाँ टहल गया।।
New रचनाकारों के अनुरोध पर डुप्लीकेट रचना को हटाने के लिए डैशबोर्ड में अनपब्लिश एवं पब्लिश बटन के साथ साथ रचना में त्रुटि सुधार करने के लिए रचना को एडिट करने का फीचर जोड़ा गया है|
पटल में सुधार सम्बंधित आपके विचार सादर आमंत्रित हैं, आपके विचार पटल को सहजता पूर्ण उपयोगिता में सार्थक होते हैं|
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अब तो मिज़ाज उसके उखड़े उखड़े से रहते।
खुश-नसीब माना खुद को नसीब बदल गया।।
उदासियों के मौसम हवाऐँ बहा कर ले आई।
दुआ का असर भी 'उपदेश' कहाँ टहल गया।।