आशाओ का दिप है जला
मुझ को दे रहा वो दिलासा
हतासा को छोड़ो मैं सखा तेरा...
चिंतन के झरोखे तू क्यों है खड़ा
कोश भी रहा ख़ुद को क्यों भला
निराशा को छोड़ो मैं सखा तेरा...
नजरों को उठाके देखो भला
हर तरफ़ सुकून है फैला
मायूसी को छोड़ो मैं सखा तेरा...
चहेरे पे हसीं खिंच लाया
माहौल में रंगीन संगीत है सझा
उदासी को छोड़ो मैं सखा तेरा...
माना जीवन है संगीन सफ़र
हर वक्त लेता कसौटी है मगर
न हारों जित लेके आया मैं सखा तेरा...
अहससा में भरलो यारा
महसूस भी करलो यारा
और कोई नहीं मैं वज़ूद हूँ तेरा….!!!!!
----स्नेह धारा