हवा से हवा में हम हवा लिख रहे हैं
हम जहर पीते पीते दवा लिख रहे हैं
सब यार पूछते हैं ये क्या चल रहा है
उन्हें क्या बतायें हम क्या लिख रहे हैं
मोहब्बत का हमको है सलीका कहाँ
खता उनकी हमतो वफ़ा लिख रहे हैं
चढ़ा रंग होली का इस कदर जहन में
अपने घर का पूछते पता लिख रहे हैं
भला कौन दुनियां में माँ जैसा अपना
दास उसको हम तो खुदा लिख रहे हैं II