कहानी कलम और ढक्कन की..
जब आविष्कार हुआ तुम्हारा ,
तब वजूद में आया मैं भी ...।
यूं तो काम तुमसे रहता है लोगों का ,
पर जरूरी हूं तुम्हारे साथ मैं भी...।
नहीं है तुम्हारे बिना ,
मेरा कोई वजूद यहां..।
तुम हो कलम मेरी ,
और मै हूं ढक्कन तुम्हारा... ।
- तुलसी