अब सच बोलने से क्या होगा,
जो हुआ होगा, हो चुका होगा l
देर से आए हो कुछ यहां देने,
फ़कीर दूर तक चला गया होगा l
तूने देर कर दी शम्मा जलाने में,
वो अंधरे में भटक गया होगा l
यूँ तो हाथों में खुदी लकीरें हैं ,
जो मिलेगा उसे पढ़ा नहीं होगा l
उसकी आंखों में पलते सपने को,
मत बुझा, सोच कुछ नया होगा l
हम कहेंगे तो गलत लगेगा तुम्हें,
ये दिन, रात में ढल गया होगा l
देर कर दी तुमने यकीं दिलाने में,
वो पलट कर दूर चला गया होगा l
हारी बाजी को छोड़ दी उसने,
जीत जाने का भरम रहा होगा l
सामने हो तो भला कहते हैं सभी ,
मेरे पीछे क्या क्या नहीं हुआ होगा l