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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

कलियुग का यही है खेल तमाशा

कलियुग का यही है खेल तमाशा
कलियुग का यही है खेल तमाशा
परमात्मा एक,यही सब धर्मों का कहना
फिर भी मनुष्य ने धर्मों को बाँटा
राष्ट्र एक,सनातन एक है
सनातन का सही अर्थ न जाना
फिर मनुष्य ने सनातन(जिसका न आदि है न अन्त)को बाँटा
कलियुग का यही है खेल तमाशा ..

ग़रीब का क्या है क़सूर ,उसे सत्ता ने लूटा
ऊँच-नीच के भेद-भाव में ऐसा भटकाया
कि मुफ़्त पाने की आदत सीखा दी
कभी न उनका भाग्य चमकाया
वास्तव में केवल उनको अपना वोट बैंक बनाया
न सत्य ,न संतोष बचा ,न रही शीलता वचनों में
धनवान और धनवान बना,ग़रीब सदा ही ग़रीब रहा
कलियुग का यही है खेल तमाशा ..

क्या खूब कहा किसी ने
पूछो सबसे जाकर! है हिम्मत तुममें
तो सूरज एक है ,चन्दा एक है
बाँट सको तो बाँटो उनको
पर्वतों को बाँटो ,गंगा की पावन धारा को बाँटों
शमशान,कब्र की मिट्टी को बाँटों जो एक धरा की मिट्टी है
नहीं है जवाब इन बातों के ,पर सवाल हज़ारों मन में हैं
उठते हैं सैलाब दिलों में ,जो बुझाए नहीं अब जाते हैं
कलियुग का हाल न पूछो,अभी कितने खेल तमाशे बाक़ी हैं ..
वन्दना सूद




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (8)

+

ताज मोहम्मद said

आज के परिपेक्ष को देखते हुए बहुत ही सुंदर रचना। बहुत ही उम्दा।

वन्दना सूद replied

धन्यवाद sir🙏

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Bahut sundar rachna Mam Atal Satya se paripurn

वन्दना सूद replied

🙏🙏

Muskan Kaushik said

Aaj kal yahi chal rha ha...bht achaa likha👏👏

वन्दना सूद replied

Sahi mein aaj kal yhi chal raha hai 😇

Arpita pandey said

उठते हैं सैलाब दिलों में ,जो बुझाए नहीं अब जाते हैं. Waah waah

वन्दना सूद replied

🇮🇳🇮🇳😊

Amit Shrivastav said

बहुत सुन्दर लिखा अति उत्तम भाव !!

वन्दना सूद replied

🇮🇳🇮🇳😊

डॉ कृतिका सिंह said

Very nicely written and expressed!!

वन्दना सूद replied

🇮🇳🇮🇳😊

विपिन कुमार said

उत्तम रचना बहुत ही सुन्दर भाव!!

वन्दना सूद replied

🙏🇮🇳🇮🇳

कमलकांत घिरी said

बहुत सुंदर रचना मैम👏🙌

वन्दना सूद replied

Thankyou sir 🙏

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