यार आदत तो बुरी है,
यह मैं भी जानता हूं।
पहले नही पीता था,
अब गम पीला देता है।
तुम तो हमें हंसाते थे,
पुराने यार कह रहे हैं।
पहले नही रोता था,
अब गम रूला देता है।
कभी कभी यूं लगता है,
जीवन ज़हर है मेरा।
मरने की सोचता हूं,
गम यही सजा देता है।
सब भूलने की सोची,
मैं दुनियां को भूल गया।
तेरी यादें सहेज कर,
यह गम ही बचा लेता है।
आख़िर इक दिन सोचा,
कोई अच्छा सा गीत लिखूं।
पर छगन तेरा पागलपन,
फिर से गज़ल लिखा देता है।
@छगन सिंह जेरठी


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
The Flower of Word by Vedvyas Mishra







