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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

कल उसके आने की आहट से

कल उसके आने की आहट पाकर मैं ख़ुश बहुत थी,
मानो वीरान ज़िंदगी फिर से आबाद हो उठी थी। पर आज हुआ कुछ ऐसा,
पता लगा मुझे कि वो आहट भी उसकी झूठी थी।।

कल उसके आने की आहट से लगा मुझे,
अचानक जो छोड़ गया था
वो फिर आ रहा है मिलने मुझे। पर आज हुआ कुछ ऐसा,
पता लगा मुझे कि सिर्फ़ वो ही झूठा नहीं
आहटें भी उसकी झूठी थी।।

कल उसके आने की आहट पाकर मैं खुश बहुत थी,
मानो अब मैं उड़ आसमां में रही थी। पर आज हुआ कुछ ऐसा,
कि आसमां से मैं ज़मीं पर आ गिरी थी।।

कल उसके आने की आहट ने एक बार फिर मुझे
ज़िंदा कर दिया था,
वरना उसकी जुदाई ने तो मुझे मार ही दिया था। पर आज हुआ कुछ ऐसा,
कि अब तो उसने मरने के क़ाबिल भी नहीं मुझे छोड़ा था।।

"रीना कुमारी प्रजापत"




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

+

रमेश चंद्र said

Kushi se dukh tak ka safar..bahut khoob.

रीना कुमारी प्रजापत replied

Dhanyawad apka

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Main aapko ek virodhabhasi shayar aur kavi ke taur par pahchanta hu jisaki jaddojahad shikaytein hoti to hain par kahin na kahin unki rachna ka nayak / nayika sab kuch thik bhi karna chahta hai aur ant hota hai ek behtar rachna se.

रीना कुमारी प्रजापत replied

दिल से बहुत बहुत शुक्रिया आपका बड़े भय्या

वेदव्यास मिश्र said

आखिरी पंक्ति के आते तक ऐसा क्या हुआ बहन जो उम्मीदें इस तरह से टूट गईं कि जीना ही मुश्किल हो गया !! नमस्कार 🙏🙏

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