कल उसके आने की आहट पाकर मैं ख़ुश बहुत थी,
मानो वीरान ज़िंदगी फिर से आबाद हो उठी थी। पर आज हुआ कुछ ऐसा,
पता लगा मुझे कि वो आहट भी उसकी झूठी थी।।
कल उसके आने की आहट से लगा मुझे,
अचानक जो छोड़ गया था
वो फिर आ रहा है मिलने मुझे। पर आज हुआ कुछ ऐसा,
पता लगा मुझे कि सिर्फ़ वो ही झूठा नहीं
आहटें भी उसकी झूठी थी।।
कल उसके आने की आहट पाकर मैं खुश बहुत थी,
मानो अब मैं उड़ आसमां में रही थी। पर आज हुआ कुछ ऐसा,
कि आसमां से मैं ज़मीं पर आ गिरी थी।।
कल उसके आने की आहट ने एक बार फिर मुझे
ज़िंदा कर दिया था,
वरना उसकी जुदाई ने तो मुझे मार ही दिया था। पर आज हुआ कुछ ऐसा,
कि अब तो उसने मरने के क़ाबिल भी नहीं मुझे छोड़ा था।।
"रीना कुमारी प्रजापत"