कापीराइट गजल
गर कोई चला गया है तो फिर से पुकार लो
अब इस जिन्दगी को तुम फिर से संवार लो
होता है ये गम सभी को किसी के जाने पर
न इस तरह से कोई गम अब तुम उधार लो
हर एक जिन्दगी में आते हैं ऐसे लोग यूं ही
मुमकिन नहीं सब को तुम दिल में उतार लो
होती है इन सभी की फितरत अलग-अलग
अच्छा है परीक्षा की, कसौटी पर उतार लो
बदल लेते हैं ठिकाना दिल पे दस्तक दे कर
मिला नहीं है वो अगर तो फिर से पुकार लो
टूट जाती हैं ये उम्मीदें यूं किसी के जाने पर
अपनी टूटी हुई उम्मीद को फिर से संवार लो
गर नजर आती हैकिसी में अपनी ही जिन्दगी
तुम इस जिन्दगी को आगे बढ़कर संवार लो
गर ये ख्वाब सजाए थे तूने किसी की खातिर
अपने ख्वाब को अब तुम फिर से संवार लो
जिन्दगी तो है बस एक हंसी समझौता यादव
तुम चाहो तो जिन्दगी को खुशी से गुजार लो
- लेखराम यादव
...मौलिक रचना ...
सर्वाधिकार अधीन है