वह शहर - आज क्यों ... वीरान बहुत है !
कल जो फूलों सा खिलखिलाता था !!
आज वह जाने क्यों ..बियाबान बहुत है !
कुछ तो हुआ होगा इस शहर मे ..ए ख़ुदा
कल तक जो बेफ़िक्र थे वे परेशां ..बहुत है !!
----कुसुम काव्यांश
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----कुसुम काव्यांश