जादू समझने वाले नही जानते विज्ञान को।
कुँए का मेढक क्या जाने दुनिया जहान को।।
पानी गरम होता रहा धीरे-धीरे उसे क्या पता।
फुदकना जानता मगर पर्दे में रखा ज्ञान को।।
नशे में ऐसा डूबा हर किसी को यार समझा।
खतरा बढ रहा 'उपदेश' तसव्वुर से जान को।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद