सुनो मेरी लेखनी को चाहने वालों,
मेरी कोई तो कविता उस कवि तक पहुंचा दो ना।
लेखनी का बादशाह है वो,
कोई तो मुझे उससे मिला दो ना।
हर शायर,हर कवि का सरताज है वो,
हर श्रोता,हर पाठक के परों की परवाज़ है वो।
मेरी कोई तो कविता उन तक पहुंचा दो,
क्योंकि एक महान् कविराज है वो।
हर इंसा के दिल में धड़कता है वो,
हर इंसा की आंखों में चमकता है वो।
मेरी कोई तो कविता उन तक पहुंचा दो,
क्योंकि कविताओं पर अपनी जान
छिड़कता है वो।
चाहती हूॅं मैं कि मेरी कविताओं को वो
पढ़ ले,
पसंद इतनी आ जाए उन्हें कि
उसे अपने दिल के सबसे करीब रख ले।
इसलिए मेरी कोई तो कविता उन तक पहुंचा दो,
ताकि वो ख़ुद ही मुझसे आके मिल ले।
जानती हूॅं उनसे मिलना मुश्किल है,
पर आप चाहो तो मुमकिन है।
इसलिए गुज़ारिश है
ऐ मेरी लेखनी को चाहने वालों मेरी कोई तो
कविता उस कवि तक पहुंचा दो ना,
लेखनी का बादशाह है वो
कोई तो मुझे उससे मिला दो ना।
"रीना कुमारी प्रजापत"