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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

कल कल बहता नदिया का जल - अशोक कुमार पचौरी


अशोक कुमार पचौरी - अशोक कुमार पचौरी - कल कल बहता नदिया का जल



कल कल करता
बहता रहता
अविरल इस
नदिया का जल।

झिलमिल झिलमिल
कभी हिले तो
कभी खिले हैं
इन पर फूल।

कभी धूप में साया बनकर
थके पथिक को ढांढस देते
पतझड़ में गिर जाते पत्ते
और कभी जीवन फल देते।

ये भी धूप में साया बनकर
थके पथिक को ढांढस देते
और कभी ये,गरज बरस कर
किसानो को कर देते खुश।

मेरा सभी पाठको से अनुरोध है कि आइये कम से कम जीवन में एक वृक्ष लगा लेते हैं और पानी का दुरूपयोग न करते हुए जल संरक्षण कर लेते हैं ।

-अशोक कुमार पचौरी
(जिला एवं शहर अलीगढ से)



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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (2)

+

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

बहुत सुंदर प्रकृति प्रेम की सुंदर रचना।

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

Aapka abhaar Shriman ji

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

अशोक जी, मैंने भी पिछली बरसात में लगभग 300 पेड़ कुछ फलदार, कुछ छायादार, लगाएं हैं सभी पेड़ सुरक्षित हैं, बढ़ रहें हैं।

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

Waah Bahut hi nek evam uttam Karya...Achha laga jankar ki sabhi fal fool rahe hain...Yahi chhoti chhoti koshishein bade mukam tak pahuchati hain..

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