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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

लैला नजर आती है

कापीराइट

जब किसी को मोहब्बत हो जाती है
उसको हर तरफ लैला नजर आती है

फिरता है वो दिन भर उसकी तलाश में
इसी तरह से रात उसकी गुजर जाती है

खोया रहता है वो उसकी हंसी यादों में
नींद में भी उसे लैला नजर आती है

दुनियां से उसे कोई भी सरोकार नहीं है
कहां इश्क में यह दुनियां नजर आती हो

उसे नजर आता नहीं कोई लैला के सिवा
चांद में भी उस को लैला नजर आती है

मेहरबां उस पर अगर खुदा हो जाए
उसको बाहों में भी लैला नजर आती है

गरीबी में अक्सर प्रेम का होता है यही हाल
पास हो कर भी लैला दूर हो जाती है

ये लैला सभी को मिलती नहीं है यादव
उसको जमाने की नजर लग जाती है


यह रचना, रचनाकार के
सर्वाधिकार अधीन है


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

+

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Waah waah Kamal hai kya kahne Yadav Sir..👌👌too good to read it Too many times

Lekhram Yadav replied

सर नमस्कार। क्या कहूं कुछ समझ नहीं पाए रहा हूं।आपकी तारीफ अधिक मायने रखती है।

Kapil Kumar said

Bahut sundar likha Aapne...

Lekhram Yadav replied

Thanks Kapil ji

Amit Shrivastav said

Aapki rachnaon ki antim panktiyan visheshkar jo mene notice Kiya sampoorn rachna me jaan daal deti hain...starting to end all okay reading reading reading ....good very good too good ....and last line par ....Are waah Kamaal...ye kya hua jesa ki is me hai "ये लैला सभी को मिलती नहीं है यादव उसको जमाने की नजर लग जाती है"

Lekhram Yadav replied

शुक्रिया अमित श्रीवास्तव जी आपकी सराहना मेरे लिए आक्सीजन से कम नहीं है।

रमेश चंद्र said

Waah... kya bat hai

Lekhram Yadav replied

रमेश चन्द्र जी स्वागत है आपका ।

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