ज़िन्दगी क्या है?
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यह सवाल जितना पुराना है, उतना ही नया भी - "ज़िन्दगी क्या है?"
हर इंसान इसका जवाब अपने तजुर्बो, हालातों और एहसासों के मुताबिक देता है।
किसी के लिए ज़िन्दगी एक खूबसूरत तोहफ़ा है, तो किसी के लिए थकान और तकलीफ़ों का नाम ।
लेकिन आइए, इसे थोड़ा गहराई से समझने की कोशिश करें।
ज़िन्दगी - एक एहसास या एक हकीकत ?
ज़िन्दगी बेशक एक खूबसूरत एहसास है, लेकिन यह मुख्तसर सांसों की एक सच्चाई भी है जो एक दिन मौत की आगोश में समा जाती है।
मौत को कोई झुठला नहीं सकता, और यही सबसे कड़वी सच्चाई है - लेकिन ज़िन्दगी का हौसला भी देखिए, वह इस हकीकत को जानकर भी जीना नहीं छोड़ती।
ज़िन्दगी और मौत के बीच का फासला कभी बहुत लंबा होता है, तो कभी बहुत ही छोटा।
अक्सर जब ज़िन्दगी को समझने लगते हैं, तब तक मौत दरवाज़ा खटखटा देती है। इसलिए यह ज़रूरी है कि हम ज़िन्दगी को केवल जीएँ नहीं, समझें, संवारें और उसका सम्मान करें।
क्या केवल सांसें लेना ही ज़िन्दगी है? नहीं। सिर्फ़ सांसों का चलना ज़िन्दगी नहीं है। ज़िन्दगी तब बनती है जब हम अपने जीवन से किसी और के जीवन में उजाला भर सकें।
जब हमारा होना किसी के लिए मायने रखता हो।
वरना ऐसे लोगों की भीड़ बहुत बड़ी है, जो कब आए और कब चले गए - कोई जान नहीं पाया।
ज़िन्दगी को बेहतर जीने के उपाय
अच्छा इंसान बनिए -
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जीवन के उतार-चढ़ाव को स्वीकार करना सीखिए। दुख-सुख तो चलते रहेंगे लेकिन इंसानियत हमेशा याद की जाती है।
आज में जीना सीखिए
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कल बीत चुका है, आने वाला कल अनिश्चित है। आज को सहेजिए, क्योंकि ज़िन्दगी चलते रहने का नाम है, ठहर जाना तो मौत है।
रिश्तों का सम्मान करें
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अपने सगे-संबंधियों को प्रेम दीजिए, उनकी मदद कीजिए। यही रिश्ते हमारी ज़िन्दगी में भावनाओं की मिठास और स्थायित्व लाते हैं।
सोच को सकारात्मक रखिए -
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हमारी तकलीफ़ों का 90% कारण हमारी नकारात्मक सोच होती है। सोच बदलिए, जीवन बदल जाएगा।
ज़िन्दगी से लेना नहीं, देना सीखिए -
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छोटी-छोटी चीज़ों से शुरुआत कीजिए- एक मुस्कान, एक मदद, एक प्रोत्साहन। यही सब मिलकर एक अच्छी ज़िन्दगी की तस्वीर बनाते हैं।
खुद से उम्मीदें रखें
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दूसरों से नहीं, पहले खुद से उम्मीद कीजिए, और जब ज़रूरत पड़े तो दूसरों की उम्मीदों पर भी खरा उतरने का प्रयास करें।
आखिर में इतना ही कहूंगी "ज़िन्दगी एक आईना है, उसमें आप वही देख पाएँगे जो आप अपने भीतर रखते हैं।" "इसलिए तय आपको करना है आप ज़िन्दगी के आईने में खुद को कैसा देखना चाहते हैं?"
डाॅ फ़ौज़िया नसीम शाद