भगवान मेरे पापा के विचार मेरे पास।
निर्णय लेते वक्त याद आते आस-पास।।
एक नजर में इश्क होना लाजमी उनसे।
विचार मिलते बन्द किए लगाने कयास।।
आई ही न कोई काम मेरी पूजा-अर्चना।
दो रोटी के फ़ेर ने मेहनत ही लगी खास।।
इंसानियत से बढ़ कर कोई धर्म ही नही।
ढकोसलों से जुझते भ्रमित इंसान खास।।
पाखण्ड के रास्ते माँ भी समझी 'उपदेश'।
खून की जरूरत पडी इंसान लगे खास।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद