कापीराइट गजल
खबर नासाजगी की तेरी जब से आई है
उदासी की इक लहर मेरे दिल पे छाई है
ऐसा क्या हुआ तुम को ये हमें मालूम नहीं
मगर एक बेबसी सी इस दिल पे छाई है
जब सुनी थी यह खबर हम हैरान हो गए
क्यूं ये जिन्दगी तुमको इस मोड़ पे लाई है
सूनी-सूनी सी है ये महफिल आप के बिना
कैसे तन्हाई में हमने रात अपनी बिताई है
आपकी हालत स्थिर है ये सुन कर खुश हैं
सुकून दिल को मिला ये खबर जब से आई है
लौट आओगे तुम स्वस्थ हो कर किसी दिन
लिखन्तु पर ये दुआएं अब हमने मनाई है
करेंगे हजार बातें जो लौट आओगे यादव
दुआ रब से करने की यह जहमत उठाई है
- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )
सर्वाधिकार अधीन है