एक आप ही तो है जिनकी दुआओं में है हम,
बाक़ियों की तो बद् दुआओं में मिलते हैं।
आपके तो जवाबों में है हम,
बाक़ियों के तो सवालों में मिलते हैं।
आपके लिए तो सुबह की सुनहरी बयार है हम,
बाक़ियों को तो चिलकती धूप लगते हैं।
आपके लिए सुकून की किताब है हम,
बाक़ियों को तो दर्द की जड़ लगते हैं।
आपकी तो आँखों में नज़र आते है हम,
बाक़ियों के तो इरादों में दिखते हैं।
आपके तो प्यार में झलकते है हम,
बाक़ियों की तो नफ़रत में दिखते हैं।
-----रीना कुमारी प्रजापत ✍️