विजय गीत
डॉ. एच सी विपिन कुमार जैन "विख्यात"
हाथों में लेकर ध्वज तिरंगा,
विजय गीत गाता हूँ मैं चंगा।
हर रंग में साहस की कहानी,
बलिदानों की अमर निशानी।
ऊँचा रहे यह आसमान तले,
गर्व से मेरा सीना फले।
अशोक चक्र की गति में जीवन,
शांति और प्रगति का अभिनंदन।
केसरिया रंग शौर्य का प्रतीक,
श्वेत सत्य का देता प्रतीक।
हरा समृद्धि की है यह माया,
हर कण में देश प्रेम समाया।
यह ध्वज नहीं, यह जान है मेरी,
यह शान है, यह पहचान मेरी।
इसके लिए हर कष्ट सहूँगा,
विजय का ही मैं गीत कहूँगा।
हर भारतीय का यह अभिमान,
रक्षा करेंगे हम इसका मान।
उड़ेगा यह ऊँचा गगन में,
विजय की ध्वनि हो हर मन में।
तिरंगा मेरा, मेरा अभिमान,
गाता रहूँगा इसका गुणगान।
विजय गीत मेरे होंठों पर,
यह ध्वज रहे सदा ऊँचा पर।