हे काम वाली बाई
तू देर से क्याें अाई.
ये मेरा घर बड़ा है
घर का कितना काम पड़ा है
कुछ काम निबटाई हूं
बच्चों काे स्कूल छोड़ आई हूं
बिलकुल सुनती नहीं बाई
तू ने ताे बहुत देर लगाई
साहेब काे जल्दी अाफिस जाना है
उन्हें खाना भी फाैरन खाना है
कितना तनाव है मुझे
क्या फायदा रखने का तुझे
काम पर ध्यान दिया कर बाई
न राेटी बनाई न शब्जी पकाई
तू देख रही मेरा मुंह क्यों खड़े खड़े
रसोई में बर्तन बहुत भरे पड़े
उसी तरफ हाे जरा
जल्दी जल्दी धाे जरा
तेरा ध्यान किधर है
बाई कपड़ा भी है करना धुलाई
थक कर मैं बहुत तंग हाे रही हूं
बेड रूम में थोड़ी देर साे रही हूं
तब तक झाड़ू पोछा लगाले
घर बहुत बिखरा है सारा चीज मिला ले
दिमाग नहीं है क्या बाई
अगर ढंग से नहीं किया सफाई
ऐसा बुरा सोचूंगी
गर्धन तेरी नोचूंगी
हड्डी-पसली तोडूंगी
कहीं की नहीं छाेडूंगी
अब तो बात सुनेगी बाई
मेरी बात मानेगी तेरा ही है भलाई
मुझसे अगर नहीं डरेगी
ठीक से काम भी नहीं करेगी
अच्छे से मैं तुझकाे देखूंगी
महीने भर की बगार तेरी राेकूंगी
ये बोल मालकिन अत्याचार करती रहेगी
ऐसा अत्याचार काम वाली कब तक सहेगी
ऐसा अत्याचार काम वाली कब तक सहेगी.....?
----नेत्र प्रसाद गौतम

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



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