उनकी शख्सियत बुलंदी पर किस लिए।
कई कंधे मददगार रहे होगे सहारे दिए।।
सफलता की तरकीब निराली रही होगी।
दिल में दया के उत्तम भाव किनारे लिए।।
कभी पैरों के नीचे जमीन खिसकी नही।
रस्ता देते 'उपदेश' जहाँ ज़मी दरारें लिए।।
- उपदेश कुमार शाक्यवार 'उपदेश'
गाजियाबाद