आग के बीच हथेली है समझ लेना है
जिन्दगी ऐसी पहेली है समझ लेना है
हाथ में हंटर हैं न्याय के हजारों उनके
पीठ अपनी अकेली है समझ लेना है
छिप गईं है गुनाहों में खुशी की दुल्हन
दर्द ही अपनी सहेली है समझ लेना है
पी रहा वो हमारा ही लहू हमेशा देखो
जुर्म के हाथ में थैली है समझ लेना है
वक्त है मूक बधिर यह गलतफहमी है
इसकी नजरें विषेली हैं समझ लेना हैं
जिस्म तो मिल जायेंगे दुनियां में बहुत
मन गज़ल एक नवेली है समझ लेना है
दास जब इंतजार किया नई सुबह का
रात उतनी यहाँ फैली है समझ लेना है
रूठ जाती है मेरी रूह ये मुझसे अक्सर
दिल अब उजड़ी हवेली है समझ लेना है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




