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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

बददुआ -पांच रूपये की

जब सातवीं कक्षा में था तो छुट्टी के बाद घर वापस लौट रहा था. एक बच्चा रोता हुआ रास्ते में मिला जो रो रो कर कह रहा था मेरा पांच रूपये का नोट इसी रास्ते में गिर गया किसीको मिले तो देदेना. मेरी घर में बहुत पिटाई होंगी

उन दिनों 5रूपये की राशि बहुत बड़ी
बड़ी होती थी. थोड़ी दूर चलने पर मुझे सडक के किनारे मुड़ा तुड़ा 5 का नोट मिला जिसे मैंने तुरंत अपनी जेब के हवाले कर दिया. थोड़ी देर बाद वह लड़का रोते हुए वापस आया और मुझसे भी पूछा उसने नोट तो नहीं मिला. मैंने ना में अपनी गर्दन हिला दी और चलता बना. वह लड़का रोते हुए कह कर गया कि मेरा नोट जो रखेगा भगवान उसके साथ बहुत बुरा करेगा.

हाई स्कूल परीक्षा में मेरी फर्स्ट डिवीजन केवल एक अंक से रह गई थी तब मुझे लगा कि उस लड़के की बददुआ लगी होंगी. मुझे अपनी उसबेईमानी पर हमेशा मलाल रहता है और उसका बोझ आत्मा पर बना रहता है. जीवन में जब भी कोई आर्थिक नुकसान होता है तो लगता है कि वही 5 रूपये का श्राप होगा.




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (6)

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वन्दना सूद said

यदि यह सब असल में हुआ है और आप स्वयम् लिख रहे हैं तो यह पश्चाताप उस की गई बेईमानी को माफ़ी तक जरूर पहुँचा देगा

वन्दना सूद said

गलती सब करते हैं उसे मानना हर किसी के बस की बात नहीं है

शिवचरण दास said

आपका बहुत बहुत धन्यवाद वन्दना जी. .इसमें रत्तीभर भी बनावट नहीं है बिल्कुल सत्य है आत्मस्वीकृति है

फ़िज़ा said

आपकी आत्मस्वीकृति ईश्वर अवश्य कुबूल कर चुके होंगे आत्मस्वीकृति खुद में ही क्षमा होती है

शिवचरण दास said

बिल्कुल ईश्वर ने हमें अपनी कृपा से हमेशा नवाजा और सही मार्ग दिखाया है शुक्रिया फ़िज़ा जी

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

ये अनुभव पढ़कर दिल भर आया… 😔 कितनी सच्चाई और मासूमियत से आपने अपनी गलती स्वीकार की है! इंसान से भूल हो ही जाती है, मगर आपका पछतावा और आत्मग्लानि बताती है कि आपका दिल आज भी नेक है। ईश्वर से प्रार्थना है कि वो आपके मन का बोझ हल्का करें… 🙏✨
आदरणीय दास सर जी को सादर प्रणाम

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