जब सातवीं कक्षा में था तो छुट्टी के बाद घर वापस लौट रहा था. एक बच्चा रोता हुआ रास्ते में मिला जो रो रो कर कह रहा था मेरा पांच रूपये का नोट इसी रास्ते में गिर गया किसीको मिले तो देदेना. मेरी घर में बहुत पिटाई होंगी
उन दिनों 5रूपये की राशि बहुत बड़ी
बड़ी होती थी. थोड़ी दूर चलने पर मुझे सडक के किनारे मुड़ा तुड़ा 5 का नोट मिला जिसे मैंने तुरंत अपनी जेब के हवाले कर दिया. थोड़ी देर बाद वह लड़का रोते हुए वापस आया और मुझसे भी पूछा उसने नोट तो नहीं मिला. मैंने ना में अपनी गर्दन हिला दी और चलता बना. वह लड़का रोते हुए कह कर गया कि मेरा नोट जो रखेगा भगवान उसके साथ बहुत बुरा करेगा.
हाई स्कूल परीक्षा में मेरी फर्स्ट डिवीजन केवल एक अंक से रह गई थी तब मुझे लगा कि उस लड़के की बददुआ लगी होंगी. मुझे अपनी उसबेईमानी पर हमेशा मलाल रहता है और उसका बोझ आत्मा पर बना रहता है. जीवन में जब भी कोई आर्थिक नुकसान होता है तो लगता है कि वही 5 रूपये का श्राप होगा.