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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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The Flower of Word by Vedvyas MishraThe Flower of Word by Vedvyas Mishra
Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

जोश जरूरी है बेशक़ पर..

जोश जरूरी है बेशक़ पर,
होश भी साथ में रखिये !!
जीत के लिए ऐ दोस्त मेरे,
ये दोनों बहुत जरूरी है !!

सपनों की उड़ान हो दिल में,
पर ज़मीन से जुड़के भी रहिये !!
चाहे जितनी ऊँचाई पायें,
दिल से नम्र होना जरूरी है !!

संघर्ष से ही निखरेंगे बेशक़,
हिम्मत का दामन मत छोड़िये !!
अंधेरों से डर मत जाइये,
खुद रोशनी बनना जरूरी है !!

हार में भी मुस्काना सीखो,
ये जीवन का जादू जरूरी है !!
गिरकर फिर से उठ खड़े हो,
खुद पे भरोसा जरूरी है !!

इस भीड़ में खुद को पहचानें,
अलग सा कुछ करना होगा !!
जहाँ सब चुप हों डर के मारे,
वहाँ सच भी कहना जरूरी है !!

ख्वाब अगर हैं आंखों में तो,
उन्हें जिंदा भी रखिये तो सही !!
औरों को राह दिखा सकें,
खुद का भी चलना जरूरी है !!
💝
वेदव्यास मिश्र की
मोटिवेशनल कलम से..


यह रचना, रचनाकार के
सर्वाधिकार अधीन है
 जोश जरूरी है बेशक़ पर      होश भी साथ में रखिये !! जीत के लिए ऐ दोस्त मेरे      ये दोनों बहुत जरूरी है !! सपनों की उड़ान हो दिल में      पर ज़मीन से जुड़के भी रहिये !! चाहे जितनी ऊँचाई पायें      दिल से नम्र होना जरूरी है !! संघर्ष से ही निखरेंगे बेशक़      हिम्मत का दामन मत छोड़िये !! अंधेरों से डर मत जाइये      खुद रोशनी बनना जरूरी है !! हार में भी मुस्काना सीखो      ये जीवन का जादू जरूरी है !! गिरकर फिर से उठ खड़े हो      खुद पे भरोसा जरूरी है !! इस भीड़ में खुद को पहचानें      अलग सा कुछ करना होगा !! जहाँ सब चुप हों डर के मारे      वहाँ सच भी कहना जरूरी है !! ख्वाब अगर हैं आंखों में तो      उन्हें जिंदा भी रखिये तो सही !! औरों को राह दिखा सकें      खुद का भी चलना जरूरी है !! 💝 वेदव्यास मिश्र की मोटिवेशनल कलम से.. 


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (10)

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ललित दाधीच said

बहुत कमाल का लिखा है 🌹🌹❤️🙏 बहुत खूब 🙏🙏

वेदव्यास मिश्र said

ललित दाधीच जी,
नमस्कार दिल से !!
आपकी प्रतिक्रिया ने मुझे उत्साह से भर दिया है !!
नमस्कार !!

ललित दाधीच said

बहुत बहुत धन्यवाद आपका, आप हम जैसे कनिष्ठ रूप से थोड़ा बहुत लेखन करने को ऐसे ही प्रेरित करते रहें, आपकी रचनाएं हमें आनंद भिगो देती है, आभार आपका, आशीर्वाद बनाए रखें सीख देते रहें, आपकी लेखनी को सलाम हमारा ❤️❤️❤️❤️❤️❤️💯💯💯👏👏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

सुभाष कुमार यादव said

क्या कमाल लिखा है आपने मिश्र सर। पढ़कर मन प्रसन्न एवं उत्साहित हो गया। उत्तम रचना।👌👌🙏

उपदेश कुमार शाक्यावार said

वाह अति उत्तम अभिव्यक्ति

वेदव्यास मिश्र said

ललित दाधीच जी,
पुलकित हृदय से आभार शुभाशीष नमन !!
आपकी पुन: उपस्थिति पाकर उत्साहित हूँ और गौरवान्वित भी क्योंकि अपने तो बहुत हैं इस शहर में मगर अपनापन किसी-किसी के साथ ही महसूस होता है !! इस अपनेपन को अभिवादन 🙏💝💝🙏

वेदव्यास मिश्र said

सुभाष कुमार यादव जी,
आपकी उपस्थिति और उत्साहवर्धक समीक्षा पाकर बहुत ही अच्छा लग रहा है सर जी !!
बहुत-बहुत नमस्कार एवं आभार आपका !!

वेदव्यास मिश्र said

उपदेश कुमार शाक्यावार जी,
अति उत्तम उपस्थिति..आभार हृदय से 💝💝

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

ये कविता नहीं, ज़िंदगी के हर मोड़ पर साथ चलने वाली एक गाइडलाइन है
आदरणीय आचार्य जी को सादर प्रणाम

वेदव्यास मिश्र said

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' जी,
हृदयसंगत नमन शुभाशीष आभार 🙏💝💝🙏

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