वक्त जब भी अपनी जिद पे उतर आता है
खता कोई करता है तो सजा कोई पाता हैI
इनकी मासूमियत पे यकीन नहीं कर लेना
कहाँ मन का खोट चेहरे पर नजर आता हैI
सच्चाई उल्फत की मालूम नहीं अभी उन्हें
ये रंज का दरिंदा है जिन्दा निगल जाता हैI
बात मत करना कभी भी सीधे हुक्मरानों से
ये तोता पिंजरे का है ये हुक्म ही दुहराता हैI
दास पलकें बिछा राह में बैठे हुए हमेशा से
यार आता तो है पर दुश्मन मेरा बन जाता है!