जवानी सरक गई उम्र पर गर्व करती।
फिसली जिंदगी अब भी मसौदे भरती।।
हर एक जिन्दगी में कसक जाती नही।
मसले उठाती मुक्त मुस्की को तरसती।।
निर्णय मुनासिब लेने में चूक माने कौन।
अपने अपने हिसाब से तसल्ली करती।।
खुशी एक बाकी बिछुड़ी मोहब्बत की।
याद कर का के 'उपदेश' उबासी भरती।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद