गुल से लिपटे रस्तों पे चल के आया हूं,
पर मैं महकता नहीं।
हसीन हाथों पर पूरी रात जल के आया हूं,
पर मैं बहकता नहीं।
प्यार की पहली कली भी मसल के आया हू,
पर मैं चहकता नहीं।
फिर सर्द चरणों को मल के आया हूं,
पर मैं दहकता नहीं।
दर्जन में, निर्जन में टहल के आया हूं,
अब कहीं मैं रहता नहीं।
जब से खुद के महल से आया हूं,
तब से कुछ मैं कहता नहीं।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




